जो पलड़े में बैठता



जो पलड़े में बैठता, तुलता है दिनरात
खुद का बोझा छूटते, राजी हो हर बात
-अरुण

मन विकल्पों को खोजने
और चुनने का काम
करता रहता है,
विकल्पों की आपसी तुलना में
रमा रहता है,
जिसके जीवन से चुननेवाले का
बोझ हट गया,
वह जीवन की हर स्थिति से
राजी हो जाता है
-अरुण   

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