अनउलझा उलझत गया....
अनउलझा उलझत गया, बाहर खोजत हल
ज्ञान, शांति वा
सुख सभी, भीतरही हर पल
आदमी मूलतः अन-उलझा
है,
परन्तु इस बातकी
उसे खबर नही,
सुख, ज्ञान और
विश्राम उसके अन-उलझेपन में ही समाहित है
परन्तु इन्हें वह बाहर
खोजने में लग जाता है,
परिणामतः वह और भी
उलझता जाता है
-अरुण
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