ज्ञान, विज्ञान, अद्वैत और द्वैत
अध्यात्मिक खोज
में
समर्पित अवधानता
अस्तित्व के एकत्व
में
रमती हुई, उसके
साथ
एक हो जाती है.
इसी एकत्व को
ज्ञान कहते है.
जब बुद्धि ऐसे ज्ञान
से दूरी बनाते हुए
अवधानता को,
अस्तित्व के किसी अंश
पर
केन्द्रित करती है,
तो
बुद्धि की इस कृति
को
विज्ञान की संज्ञा
दी जाती है.
इसतरह, एकत्व में रमने
से अद्वैत तो
ज्ञान से दूरी बनाने
पर द्वैत उभरता है
-अरुण
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