फल की आकांक्षा हमेशा व्यथित



फल नही होता फलित तो
वेदना की टीस चुभती,
जो भी चाहा, पूर्ण होते   
तृप्तता होती नदारद
-अरुण  

Comments

Popular posts from this blog

लहरें समन्दर की, लहरें मन की

लफ्जों की कश्तियों से.........

जीवनगत एक गज़ल