अगर ज्ञानेन्द्रियां होती ही नहीं ....



अगर ज्ञानेन्द्रियां न होतीं  
तो ज्ञान न होता, न ‘ज्ञात’ होता और
न ही होता ज्ञानी    
जो होता - वह है अस्तित्व,
जो सदा से ही है,
ज्ञान के पहले और
ज्ञान से बाद भी
-अरुण 

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द