गीता-आशय



जीवन की रणभूमि पर
अर्जुन बन कर लड़ो,
परन्तु एक ऐसा अर्जुन
जिसके भीतर
हिमालय का एकांत हो,
रिश्तों या समाज का
कोलाहल नहीं
-अरुण 

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