मन एक उपयोगी भूल
शरीर चलता है तो
धरती पर उसकी छाया
भी चलती है,
यह एक अस्तित्वगत
तथ्य है
परन्तु माया में
उलझा मस्तिष्क
(यानि मन)
मानता है कि
छाया ही शरीर को
चला रही है
शरीर अस्तित्व है,
शरीर को चलानेवाली
उर्जा भी
अस्तित्व है,
परन्तु ‘उर्जा को संचालित
करता हुआ’
मालूम पड़ने वाला
मन
मस्तिष्क की एक
उपयोगी भूल है
-अरुण
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