मन-बुद्धी का खेत



सदियों से सींचत रहे मन-बुद्धी का खेत
प्राणों तक पहुंचा नहीं कुछ भी शुभ-सन्देश

सदियाँ गुजर गईं,
मनबुद्धि
गतानुभावों के कवच में
ढकीं पड़ी है
कोई भी शुभ-ज्ञान जैसे
गीता बाइबल या कुरान
प्राणों की गहराई में
पहुँच नहीं पा रहा
-अरुण

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