जगत वस्तुगत या आत्मगत ?



जिसे सृष्टि की ,   
हर वस्तु, व्यक्ति और अस्तित्वाकार में
उपयोगिता ही दिखती है
उसके लिए सारा अस्तित्व वस्तुमात्र है,
जिसे सृष्टि की,   
हर वस्तु, व्यक्ति और अस्तित्वाकार में
एक का एक व्यक्तित्व दिखता है
उसके लिए सारा अस्तित्व व्यक्तिमात्र है

निष्कर्ष -
संसारिकता के लिए जगत वस्तुगत है
तो धार्मिकता के लिए जगत है एक आत्मा
-अरुण

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