देखना

देखना हर चीज को बनते हुए
देखना हर वक्त को ढलते हुए
देखना हर वाकिए का तार तार
देखने का वाकिअः घटते हुए   

देखने को देखता है जब समां
उस समां में ही समाकर देख लो
इस तरह से देखना ही जिंदगी
घर से बाहर आ, निकलकर देख लो
.......................................... अरुण 

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