सारा अस्तित्व ज्ञानशून्य हैं


सामने उगा सूर्य सच है
बदन को छूती ये मंद हवा सच है
पर सूर्य को सूर्य कह कर पुकारो,
कहीं कोई प्रतिक्रिया न होगी
हवा की कितनी भी तारीफ या निंदा करो
उस पर कोई असर न होगा.......
सारा अस्तित्व ज्ञानशून्य हैं 
......................................... अरुण

Comments

बहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद|
ज्ञान शून्य हो जाना योग की चरम सीमा है ...
सुन्दर रचना है ...

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