दुःख और चिंता


जब मनुष्य का ध्यान
भविष्य और बीती घटनाओं से जुड़े  
विचारों में उलझ जाता है,     
मनुष्य का मनोवैज्ञानिक धरातल
दुःख और चिंता से कम्पित हो उठता है
- अरुण 

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