पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द


जब आतंरिक या बाहरी बाध्यता
जोर पकड़ गई,
जो कहा नही जा सकता,
उसे भी कह देने की कोशिशे हुईं
शांति को शब्दों से सजाया गया
शांति सज तो गई परन्तु न कही और न ही सुनी गई
जो कही और सुनी गई वह शांति न थी.
वह थे गीता, कुरान, उपनिषद, और ऐसी ही
कई पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द
-अरुण  

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