संदेह-विरहित अंतर-मन


टिमटिमाती मोमबत्ती की
कदमभर रोशनी में भी
चलना हो पाता है
और दिन के घने पूरे आच्छादित
प्रकाश में भी,
पहला कदम-ब-कदम वाला सफर
अनसुलझे संदेहों को थामे हुए
आगे बढता है 
तो दूसरा
संदेह-विरहित अंतर-मन से    
-अरुण

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