We human beings , when desire more than our capability , we try to find some shortcut to fullfill these desires/dreams , this is the root of corruption . So , we should understand that - Whatever we deserve we get .
Mandira Mhaskar Granddaughter of Mr Narayan Mhaskar
धीमी-धीमी मृदुल हवा से गतिमान समन्दर की लहरें हों या बवंडर से आघातित ऊँची ऊँची उछलती लहरें समन्दर की लहरों में हमेशा ही एक लय बद्धता है उनमें कोई आतंरिक संघर्ष नही सभी लहरें एक ही दिशा में एक ही ताल, रिदम में चलती, उछलती हुई परन्तु मन की लहरें आपस में ही भिड़ती, एक दूसरे से जुदा होते हुए अलग अलग दिशा में भागती तनाव रचती, संघर्ष उभारती मन की लहरें समन्दर की लहरों के पीछे एक ही निष्काम-शक्ति है मन की लहरों के पीछे परस्पर विरोधी इच्छा-प्रेरणाएँ ............................................................. अरुण
प्रकाश’ का तात्पर्य **************** प्रकाश के प्रभाव को उजाला कहिए और प्रकाश के अभाव को अंधेरा अस्तित्व, जब समझ (प्रकाश) में आए, ज्ञान (उजाला) कहिए और जब वह समझ के दूर (अभाव) हो कहिए उसे अज्ञान (अंधेरा) -अरुण ‘अपना’ ही खो जाए तो ******************** अपना कुछ खो जाए तो दुख ही दुख यह ‘अपना’ ही खो जाए तो ख़ुशी ही ख़ुशी…टिकाऊ ख़ुशी -अरुण कैसे नादान हैं हम? ************* अजिंदे भूत ने क़ब्ज़ा कर रखा है इस जिंदगी पर और छोड रखा है दो साँसों और दिल की धड़कनों का सहारा जीने के लिए एक हम हैं ऐसे मूरख कि भूत में समायी हुई ग़ैरमौजूदगी से ही पूछ रहें हैं अपनी मौजूदगी के बारे में उठ्ठे सवाल -अरुण
कहना उन्हें फिजूल सुनना जिन्हें सजा है वैसा भी कह के देखा., जैसा उन्हें रजा है लफ्जों की कश्तियों से बातें पहुँच न पाती इक साथ डूबने का कुछ और ही मजा है ............................................. अरुण
Comments
Mandira Mhaskar
Granddaughter of Mr Narayan Mhaskar