बच्चे जीवनभर बच्चे ही रहते हैं
बचपन में बच्चे गुड्डा-गुड़ियों में
मग्न रहते हैं,
उनसे दिल बहलाते हैं,
वे ही उनकी रूचि बन जाते हैं
और बच्चे जीवनभर
बच्चे ही रहते हैं.
परिवर्तन तो केवल
गुड्डा-गुड़ियों में होता जाता है
पैसा, प्रतिष्ठा, प्रगति, सत्ता ....
ये सब गुड्डा-गुड़ियों के ही
परिवर्तित रूप हैं
-अरुण
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Mandira Mhaksar
Granddaughter of Mr Narayan Mhaskar