मन एक आभासित सत्ता



इस पार उठी सरगम उसपार रचाए गीत
गाता-सुनता मन-मीत........

मस्तिष्क में चमकती किरणें,
मन का आकार लिए
कहीं दूर जा बसती हैं, अलग थलग होते हुए भी
किसी अदृश्य सत्ता का आभास जगाती है.
- अरुण

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