ध्यान और शब्द – एक दूसरे के काट हैं
मन-मस्तिष्क
में
शब्दोच्चार
के थमते ही
ध्यान-अवधान
फलता है
दरअसल,
आशय यह है कि
शब्दोच्चार
का थमना और
ध्यान
का जागना दो भिन्न बातें नहीं हैं
शब्द
का आगमन ही ध्यान-भंगता की अवस्था है
और
शब्द का लोप ही ध्यान का आगमन है
-अरुण
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