Communication बनाम Communion



अपनी अलग पहचान बनाए रखते हुए
जो दूसरों से सामंजस्य करना चाहते है,
वे यह काम, सुसंवाद (Communication)
के माध्यम से करते दिखते हैं,
सुसंवाद,- कितना भी सही क्यों न हो,
स्व -पहचान के दमन की पीड़ा से,
मुक्त नहीं हो पाता,
सुसंवाद की अवस्था में भी, अन्दर ही अन्दर
यह पीड़ा चुबती ही रहती है.
जब सम्मेलन (Communion) घटता है,
तभी पीड़ामुक्त समाधान (Ecstacy)
अनुभूत होता है
-अरुण

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