प्रवचन किसके लिए ?



प्रवचन के शब्द तो खुले आकाश में तैरते है 
जो मैदान साफ हो वहीँ पर रेंगते है
तुम उन्हें सुन पाओ तो ठीक
दिमाग का आँगन साफ़ रख पाओ तो ठीक

ख्याल रहे ...
फूल महकता है
पर किसी खास के लिए नहीं
बादल बरसता है
किसी मकसद से नहीं
जो भी गुजर जाए पास से
गंध पाता है
जो भी धरा हो धरा पर
भींग जाता है ...
अगर प्रेरणा हो पास से गुजरने की,
बरसते आकाश के नीचे टहलने की
तो गंध फूल की छू जाएगी
बूँद बूँद सूखी रुक्ष दरारों में उतर आएगी

मतलब ये कि सत्य के प्रवचन हैं
केवल प्रेरणाओं के लिए
किसी संकल्प या वासनाओं के लिए नहीं
किसी खोज या खोजी के लिए नही
बल्कि उनके लिए जिनकी सारी खोजें
थम चुकी हैं, खोजी में ही सारी खोजें सन चुकीं है
- अरुण  

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