दुनियादारी पाप नहीं मगर .....

दुनियादारी पाप नहीं मगर .....
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दुनियादारी में रस लेना कोई पाप या बुरा काम नहीं है । मगर हाँ, उसके अच्छे बुरे, दोनों तरह के परिणाम स्वीकार्य होने चाहिए । दोनों ही के प्रति सम- स्वीकार भाव हो । जो इस बात में चूक जातें हैं वे अंधी धारणाओं के चक्कर में फँसकर, अंधे उपयों के हाँथों अपना सत्सदविवेक खो बैठते हैं और ऐसा करना निश्चित ही पाप है क्योंकि ऐसी बातें बेहोशी में ही घटती हैं । बेहोशी में होनेवाले कृत्य पाप नहीं तो और क्या हैं ?
- अरुण

Comments

Ankur Jain said…
उत्कृष्ट विचार...

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