भँवर

भँवर
********
समुद्र में भँवर की जो अवस्था है वही है व्यक्ति की सकल चेतना-सागर में । भँवर.. सागर से अलग कहाँ होता है, फिर भी शायद उसे लगता होगा कि  वह अपनी ही गति के सहारे अपनी अलग धुरी पर खड़ा हो चक्कर लगा रहा है । सकल चेतना-सागर में व्यक्ति की चेतना.. अलग कहाँ ? व्यक्ति के माध्यम से... चेतना का सकल सागर ही अभिव्यक्त होता रहता है, फिर भी उसे यानि व्यक्ति को लगता है कि उसकी चेतना अलग है क्योंकि वह अपनी अलग धुरी (अहंकार) पर अपनी स्वतंत्र गति (अलग चेतना) के सहारे विचर रहा है ।
- अरुण
                                     

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के