दिखाई देना और देखी हुई लगना

यह बात कि लाठी से परछाई को हटाया नही जा सकता और न ही परछाई से लाठी को पकड़ा जा सकता है, जिन्होंने अपनी खुली साफ आंखों से  देख ली है, वे इस बात को करने की चेष्टा तो क्या... इस बात को करने  की उन्हे.. कभी इच्छा भी नही होगी । हाँ, मेरे जैसे पढ़-पंडित जिन्हें यह बात (और ऐसी ही कई बातें ) न दिखाई देते हुए भी देखी हुई लग रही हैं,  वे जीवन की ऐसी कई अशक्यताओं की इच्छा संजोये जी रहे हैं ।
- अरुण

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