समूह-शास्त्र

सद्नीयत जो पूजते, मिलकर संघ बनाय
पूजा होती संघ की, लेकर झूठ उपाय
-अरुण
आदमी का समूह-शास्त्र कुछ अजीब ही है। अच्छी नीयत से लोग इकट्ठा होकर संगठन बनाते हैं,आंदोलन चलाते है और फिर उस संगठन या आंदोलन की प्रतिष्ठा,सुरक्षा और वर्चस्व के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। समूह के हाँथों सद्नीयत का रूपांतरण बदनीयत में हो जाता है।
- अरुण

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