एक ऐसी बात.........
एक ऐसी बात है जो ध्यान में उतर आये
तो बहुत कुछ कह जाती है
बात यंू है-...
आदमी अंधेरा भी देखता है और प्रकाश भी
और इसीवजह अंधेरे में प्रकाश की और
प्रकाश में अंधेरे की कल्पना करता हुआ
अंधेरा या प्रकाश देखता है
परंतु प्रकाश का मूल स्रोत - सूर्य,
न तो अंधेरा देखता है ओर न ही प्रकाश
क्योंकि वही स्वयं प्रकाश है
वास्तविकता में जीनेवाले हमसब
अज्ञानयुक्त ज्ञान से काम चला रहे हैं
मगर सत्यप्रकाशी न तो अज्ञानी है और न ही ज्ञानी
क्योंकि वह स्वयं ज्ञान ही है
- अरुण
तो बहुत कुछ कह जाती है
बात यंू है-...
आदमी अंधेरा भी देखता है और प्रकाश भी
और इसीवजह अंधेरे में प्रकाश की और
प्रकाश में अंधेरे की कल्पना करता हुआ
अंधेरा या प्रकाश देखता है
परंतु प्रकाश का मूल स्रोत - सूर्य,
न तो अंधेरा देखता है ओर न ही प्रकाश
क्योंकि वही स्वयं प्रकाश है
वास्तविकता में जीनेवाले हमसब
अज्ञानयुक्त ज्ञान से काम चला रहे हैं
मगर सत्यप्रकाशी न तो अज्ञानी है और न ही ज्ञानी
क्योंकि वह स्वयं ज्ञान ही है
- अरुण
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