मन - एक भ्रम-छाया
पेड की छाया के लिए
सूर्य और धरती
दोनों का होना जरूरी है
परन्तु यह छाया न तो
सूर्य ने पैदा की और न ही
धरती इसकी मालिक है
यह छाया न तो सूर्य को जानती है
और न ही धरती और पेड से इसका कोई लगाव है
यह स्वयं के प्रति भी पूरी तरह उदासीन है
ऐसी ही एक छाया है
आदमी का मन
परन्तु यह मन (भ्रम- छाया) अपने होने का
दावा ही नहीं करता बल्कि
अपने शरीर (धरती) और परिवेश( सूर्य)
दोनों पर अपनी सत्ता स्थापित करता है
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