परिभाषा की परिसीमा

परिभाषाएं कितनी भी सटीक क्यों न हों

हमेशा अधूरी हैं

कामचलाऊ हो सकती हैं

पर आशय के पूर्णत्व को छू नहीं सकती

ठीक वैसे ही

जैसे वस्तु की छाया वस्तु को

पकड़ नहीं सकती

................................................ अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के