अस्तित्व यानी सकलता
धरती -आकाश- सागर अलग अलग से
लगतें हैं मस्तिष्क को,
अस्तित्व को नही ,
सदियों से सत्य की खोज चली
आ रही है पर सत्य बेबूझ है
क्योंकि मस्तिष्क हर चीज बाँट कर देखता है
एक का एक अस्तित्व ही
सत्य के आधीन है
अस्तित्व की सकलता ही
सत्य की समझ है
........................... अरुण
लगतें हैं मस्तिष्क को,
अस्तित्व को नही ,
सदियों से सत्य की खोज चली
आ रही है पर सत्य बेबूझ है
क्योंकि मस्तिष्क हर चीज बाँट कर देखता है
एक का एक अस्तित्व ही
सत्य के आधीन है
अस्तित्व की सकलता ही
सत्य की समझ है
........................... अरुण
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