आदर्श - न जमीनी न आसमानी

वही गेंद उछलते हैं
जो गिरकर जमीन को छूते हैं
उन्हें जमीनी और आसमानी
दोनों हकीकतों का पता है
वे उनमें में से नही
जो गिरने से पहले ही
उछलकर किन्ही आदर्शों को छूना चाहतें हैं
और अपने आदर्शों को पकडे हुए
जमीन पर आ गिरतें हैं
...................................... अरुण

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