तात्पर्य गीता अध्याय ११
बुद्धि तो गिनती करे उसकी जो न दिखात /
देखा जिसने सकल को वह गिनती बिसरात //
देव-मूर्ति में घुस पडो, विश्वरूप को जान /
भटक न पाए वह जिसे सकल रूप का ध्यान //
……………………………………… अरुण
देखा जिसने सकल को वह गिनती बिसरात //
देव-मूर्ति में घुस पडो, विश्वरूप को जान /
भटक न पाए वह जिसे सकल रूप का ध्यान //
……………………………………… अरुण
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