अभी भी भ्रष्टाचार के पक्ष में कोई नारा नही

सभी तरह के लोग भ्रष्टाचार के निर्मूलन के विचार से सहमत दिखाई देते हैं, - वे भी जिन्हें भ्रष्टाचार करनेवालों से रोज ही सहयोग करना पडता है, वे भी जिनका दैनिक जीवन ही भ्रष्टाचार पर आधारित है, वे भी जिनको भ्रष्टाचार के बदौलत ही समाज में प्रतिष्ठा और सत्ता प्राप्त है और कुछ गिन चुने वे भी जो शायद सदाचारी हैं.

........

आचरण का भले ही अवमूल्यन हुआ हो पर सामाजिक मूल्यों का नही. उदाहरण के लिए अगर रेलगाड़ी वक्त पर नही चलती तो इस बात से परेशान लोग रेल विभाग को कोसतें तो है पर अभी तक किसी ने यह नही कहा की रेल के टाइम टेबल की कोई जरूरत नही. अभी तक किसी ने भी भ्रष्टाचार के पक्ष में नारा नही लगाया

............................................................................................................................ अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

पुस्तकों में दबे मजबूर शब्द

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के