दो अध्यात्मिक शेर

सत्य को यह गंध माया ना पकड़ पाए कभी

हो प्रशंसा गलियां हों, ओंठ उनसे मुक्त हैं

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जागना इतना गहन कि रिक्त पूरा हो जेहन

इस स्थिति में जो भी पहुँचा वो ही असली भक्त है

........................................ अरुण

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