तात्पर्य गीता अध्याय १३
ध्यान जगाए ज्ञान को, ज्ञान जगाए बोध /
बोध बदलता चित्त को पंडित बना अबोध //
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यह शरीर आत्मा मिले, फलती नश्वर सृष्टि /
आत्मा तो निर्दोष है, बिन कर्ता की दृष्टि //
................................................ अरुण
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