दो तरह की आँखें

केवल बाहर के परिदृश्य को

देखनेवाली आँखें लेकर संसार में उतरा

यह आदमी समाज के सहयोग से

अपने भीतर

अपने अनुभवों पर बोलनेवाली

आँखें जगाता है

और फिर इन बोलती आँखों से

पूछकर ही

जिंदगी की राह पर

हर कदम रखता है

इसी लिए जो जैसा है

उसे, वैसा ही देख नही पाता

.............................................. अरुण

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