तात्पर्य गीता अध्याय १२

भक्ति में सक्ती नही केवल स्थिर विश्राम /
जहाँ बहाए यह नदी बहता रह अविश्राम //

जो ईश्वर से जुड गया खुद को देत भुलाय /
फिर हरेक से दोस्ती हर हालत रम जाय //
................................................ अरुण

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