तात्पर्य गीता अध्याय १८
सृष्टि- दृष्टि का भेद फल, ज्ञान प्राण का भेद /
देव-कृपा के लाभ से कर्म होत संवेद //
बोध फले जब सकल का होत न दृश्य विभक्त /
ब्रह्म फले तब चित्त में, निष्कर्मी प्रभु-भक्त //
................................................ अरुण
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