अन्ना का अनशन आज समाप्त

यह बहुत ही समाधान की बात है कि आज सुबह अनशन टूटने जा रहा है भ्रष्टाचार का संकट तो है पर उसकी तो अब आदत पड़ चुकी है. इतनी अधिक आदत की अब उसके प्रति अभी कोई अर्जेंसी महसूस नही होती. अभी जो सबसे बड़ा संकट देश में था, वह था अन्ना का अनशन. यह अनशन न उनके स्वास्थ्य लिए ठीक था और न ही देश के स्वास्थ्य के लिए.

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जन आक्रोश के दबाव में कुछ न कुछ तात्कालिक हल निकालना जरूरी ही था और वह सांसदों ने एक मत बनाकर निकाल भी लिया पर यह सारा एपिसोड चिंतन के लिए कुछ विषय छोड़ गया है

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क्या यह सत्याग्रह सही उद्देश्य की दिशा में किया गया दुराग्रह नही था?- क्योंकि इसमे झलकती हठधर्मिता देश में आतंरिक अशांति और अराजकता फैला सकती थी. अच्छी बात यह थी की सारा आन्दोलन अहिंसा के दायरे में रहते हुए किया गया था और इसके लिए आन्दोलन के आयोजकों की सराहना करनी ही होगी. उनका धन्यवाद क्योंकि १२ दिन तक चला यह आन्दोलन शांति बनाये हुए था.

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कुछ निष्कर्ष

१) राजनीतिज्ञों और जनता के बीच का संपर्क क्षीण हो चुका है और यही कारण है कि न सरकारी पक्ष और न ही विपक्ष यह समझ पाया कि आन्दोलन इतना अधिक जन-समर्थन जुटा पाएगा. फलतः सरकार और विपक्ष दोनों ही असंमजस और अनिर्णय की परिस्थितियों में उलझे रहे. विफलता के लिए एक दूसरे पर आरोप करते रहे. राजनीति खेलते रहे. समस्या का अपने हित में कैसे उपयोग हो इसकी भी खोज करते रहे.

२) यह भी महसूस हुआ कि जन-सोसायटियों और जन-प्रतिनिधियों के बीच परस्पर विश्वास का अभाव है और इसीलिए दोनों पक्ष एक दूसरे से डर डर कर मिलते रहे, संवाद करते रहे.

३) जन-आक्रोश के दबाव में न मीडिया तथ्य बोलता है और न ही मीडिया में चर्चा करने वाले तथाकथिक विशेषज्ञ. सभी लोग जो श्रेयस है उसे कहने से डरते हुए केवल जो प्रेयस है वही बातें दुहराते रहते हैं.

४) संसद में सारे सदस्य तभी एक-मुखी होतें हैं जब उनके सामने कोई common संकट आ जाए या जब उनके किसी common हित की बात हो

५) लोक-संपर्क न होने के कारण सरकार द्वारा लिए गये सारे निर्णय गलत साबित होते गये और इस बात की खिल्ली उडाता विपश इसका राजनैतिक लाभ लेने का प्रयत्न करता रहा. सभी का आचरण गैर-जिम्मेदाराना था. अन्नाजी की टीम भी इस आरोप से बच नही सकती

इन १२ दिनों में सभी संबधित लोगों और पक्षों ने बहुत कुछ सीखा होगा. उम्मीद यही है कि इस सीख का सभी सकारात्मक उपयोग करगें, परस्पर आरोप-प्रत्यारोप से बचेंगे. यही अब देश हित में होगा. जीत महसूस करने वाले अपनी जीत का सही मूल्यांकन करें. हार महसूस करने वाले इसे सीखने का अवसर समझें और मीडिया सभी पक्षों में सामंजस्य लाने की भूमिका निभाए. धन्यवाद

...................................................................................................................................................... अरुण

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