सत्य के पटल पर ही असत्य


सत्य के पटल पर ही
असत्य का जन्म होता है,
ऐसे असत्य को न पकड़ना है और
न ही उससे भागना है,
असत्य के पीछे छुपे
सत्य पर सिर्फ जागना है,
उसको जानना नही है
क्योंकि उसे जाना ही नहीं जा सकता
-अरुण  

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