उर्जा लहरों पर संवाद रच दिए गए
मानो आदमी ने सागर की लहरों के कोड बनाकर
सागर पर एक script लिख दी हो अब लहरे संवाद के लिए चलने लगीं और
आदमी के नज़रों से सागर ओझल हो गया ...........
मस्तिष्क में भी ऐसी ही किन्ही उर्जा लहरों पर
आशय और विषय के कोड आरोपित हुए लगते हैं और
इसीलिए शायद मस्तिष्क में अब केवल विचार विचरते लगते हैं.
मस्तिष्क में बहती हुई उर्जा -लहरों का संचार
संवेदित ही नही होता
-अरुण
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