भेद का लुप्त होना

सकल अवधान एक साथ
सूक्ष्म भी है और विस्तृत भी,
इसीकारण ऐसे अवधान में
सारे भेद लुप्त होकर एकत्व का भान उभर आता है
और फिर भेद दृष्टि के कारण जन्मे सारे संघर्ष
निरस्त्र हो जाते हैं और
कैवल्य का स्पर्श होता है
-अरुण  
    

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