सत्य पाने की वस्तु नहीं



सत्य को पाना नहीं,असत्य को खोना है
‘जानना’ असत्य-धर्म, सत्य सिर्फ ‘होना’ है
जिस क्षण असत्य, पुर्णतः जाना गया
उसी क्षण की घटना, सत्य का होना है
-अरुण   

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