गहन अनुभूति की अभिव्यक्ति भिन्न


हम सभी जिन्होंने अपने शरीर से
तादात्म कर लिया है
सरदर्द होने पर कहते हैं –
‘मुझे सरदर्द हो रहा है’
ऐसा इसलिए,
क्योंकि हम अपने को
इस शरीर से भिन्न नहीं मानते.
जो अनुभूति की गहनता में डूबा हो
उसकी अभिव्यक्ति भिन्न होगी.
वह कहेगा –
इस देह-मन का जोड़ मुझे
यह बतला रहा है कि
उसे सरदर्द हो रहा है
पहला ‘मुझे’ देह-मन ने तो
दूसरा ‘मुझे’
आत्मा ने किया हुआ संबोधन है
-अरुण

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