जैसा ‘हूँ’ - वैसा नहीं बना रहता



जैसा ‘हूँ’ - वैसा नहीं बना रहता
खड़ा जहां हूँ वहीँ पे नहीं खड़ा रहता
जो ‘नहीं’ है वही भटक रहा है अपने इर्द-गिर्द
यही ‘नहीं’ जो ‘हूँ’ की खोज में लगा रहता
-अरुण    

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