आविष्कृत मन



जीवन की सुविधा के लिए
उत्क्रांति ने अविष्कार किया मन का
जिसने जन्मा समय और संसार,
समय-शून्यत्व का आनंद खो गया और
सुख-दुःख का चक्कर चल पड़ा.
अब आविष्कृत मन के शून्य होने पर ही
समय-शून्यत्व का आनंद जागेगा
-अरुण 
 

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