आध्यात्म और दुनियादारी में गफलत करना


मेरे आचरण और मनन में
बहुत खोट है. एक ओर सारी सकल सृष्टि
हम सब की है ....ये सारी जमीन
हम सब की है....... ऐसा मानता तो हूँ लेकिन
इस जमीन पर उपजे पेड़ों की मल्कियत को
बाँट लेने में रस लेता हूँ.
ये पेड़ मेरे और वो तुम्हारे
इस भाव को मन में सजोए रखता हूँ
-अरुण

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