दृष्टि और ध्यान
दृष्टि
- तन-मन-बुद्धि से बनती है
और
ध्यान - तन-मन-बुद्धि एवं ह्रदय
के
समग्र अवधान से,
दृष्टि
में देखनेवाला हटकर है
और
ध्यान में कुछ भी हटकर नहीं,
सब
एक का एक
क्योंकि वहाँ न कोई
फासला
या अवकाश है और न ही कोई समय
-अरुण
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