सब बात बदल जाएगी



आसमान की तरफ नजर उठी
नीलापन, उड़ते बादल, बीच बीच में
झांकती धूप ...
यह सुहाना नजारा भीतर छू गया,
पर यदि इस ‘देखने’ में विचारों का
व्यवधान आ जाए, नज़ारे को देखने की जगह
उसे पढ़ना, विचारना चल पड़े तो सब बात बदल जाएगी
-अरुण

 

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