मन टूट का प्रतिफल

मन संवाद करने,
संबंध बनाने, अनुभति को इकठ्ठा करने,
इकठ्ठा स्मृति के आधार पर
काल को कल्पित करने जैसी बातों के लिए
बाध्य है.
मन टूटी हुई चेतना का प्रतिफल है और
टूटी हुई चेतना तो 
संबंध बनाएगी ही और
संवाद, स्मृति, काल-भ्रम की बाध्यता से
एक पल के लिए भी
मुक्त नहीं हो सकती

-अरुण       

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