चेत-वेदना पर होनेवाली प्रक्रिया है- यह मन
टुकड़ों
में बांटना, टुकड़ों को कातना
कातकर
धागे बनाना, धागों से कपड़ा बुनना
इन
प्रक्रियाओं के बारे तो हम जानते हैं
लगभग
ऐसी ही प्रक्रिया मस्तिष्क
चेतना
पर करता रहता है
चेतना
की संवेदना को बाटने, कातने, बुनने आदि
की
प्रक्रिया को ही मन कह सकते हैं
ध्यान
में अप्रक्रियित चेतना को सीधे सीधे
संवेदित
किया जाता है
मन
नामक प्रक्रिया के कोलाहल से
ध्यान
मुक्त रहता है
-अरुण
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