समाधी क्या है ?... झलक मिल जाएगी
जिस
जमीं के चप्पे पर
खड़े
हो,
वहीँ
खड़े रहो अडिग,
धमनियों
में बहती रक्तधार पर
लेटे
रहो अडिग,
सभी
भीतरी स्पंदनो धडकनों
की
दीवार पर कान सटाए रहो अडिग
मन
में उठते विचारों और कल्पनाओं के आकाशमें
बिना
पंख फडफडाए तरंगते रहो अडिग
- समाधी क्या है ?... झलक मिल जाएगी
-
अरुण
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